उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा। उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा।
माँ गंगा तेरा जल जो पावन,अमिय-सुधा, कण-कण गुण-भावन। माँ गंगा तेरा जल जो पावन,अमिय-सुधा, कण-कण गुण-भावन।
मंदिर मंदिर चढ़ जाने को...। मंदिर मंदिर चढ़ जाने को...।
मैं खून बोलता हूँ, वाहवाही मिली नही मुझको अबतक। मैं खून बोलता हूँ, के मुझसे सना हुआ गंगा का तट। मैं खून बोलता हूँ, वाहवाही मिली नही मुझको अबतक। मैं खून बोलता हूँ, के मुझसे स...
शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था! शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था!
अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए। अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए।